९ -१० -२०२१, मुंबई
विश्व संस्कृत महासम्मेलन सनातनी ऋषि संतति के लिए एक शुभ समाचार है।
प्रकाश की दिशा में कार्यरत भरतवंशियों की दिव्यभूमि भारतवर्ष के धार्मिक एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण काल में आगामी 9,10 और 11 नवम्बर को भारत की राजधानी नई दिल्ली में त्रिदिवसीय विश्व संस्कृत महासम्मेलन (World Sanskrit Conference) का भव्य कार्यक्रम का आयोजन होने जा रहा है। इस कार्यक्रम में मिलिट्री स्कूल के छात्र, संस्कृत के अंतरराष्ट्रीय ब्रांड एंबेसडर और दुनिया के सांस्कृतिक राजदूत महर्षि आज़ाद के साथ वैश्विक स्तर के मूर्धन्य विद्वान् एवं ज्ञानी-गुणी विद्वज्जन सम्मिलित होंगे। संस्कृत के पुनरुत्थान, पुनर्प्रतिष्ठा एवं वैश्विक प्रचार-प्रसार में उपस्थित बाधा-विघ्नों एवं संस्कृत की जागतिक सम्भावनाओं पर संस्कृत संतति का विमर्श होगा।
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देश के प्रमुख संस्कृत संस्थान एवं संस्कृत प्रेमी विश्वविद्यालय एवं संस्कृत के स्वनामधन्य विद्वान मनीषी इस संस्कृत यज्ञ में उपस्थित होंगे। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, काशी विद्यापीठ, विश्व साहित्य परिषद्, सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय एवं जे एन यू जैसे अन्य कई विश्वविद्यालयों एवं संस्थाओं के संस्कृत के उन्नयन-संवर्धन में प्रतिबद्ध प्रमुख संस्कृतप्रेमी एवं संस्कृत-सेवा में समस्त जीवन समर्पित करनेवाले संस्कृत के उद्भट विद्वान इस विश्व संस्कृत महासम्मेलन में सक्रिय भाग लेंगे।
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भारत की परतंत्रता और स्वतंत्रता के दोनों ही कालखंडों में भारत विरोधी शक्तियों के षड्यंत्र के कारण देवभूमि भारत में ही देवभाषा संस्कृत को मृत या विस्मृत भाषा मानकर केवल कर्मकांड तक ही इसे सीमित कर दिया गया था। पिछले दशक में राष्ट्रवाद के महाविस्फोट के साथ ही राष्ट्रपुत्र महर्षि आज़ाद का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के केंद्र में उदय होता है और देव भाषा संस्कृत को जनभाषा और वैश्विक ज्ञान-विज्ञान की वैज्ञानिक भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने का उनका अभियान परिधि बनकर फैलने लगता है।
विश्व संस्कृत महासम्मेलन वस्तुत: महर्षि आज़ाद के द्वारा सनातनी भरत वंशी अमृतपुत्रों का आवाहन है ।
विश्व संस्कृत महासम्मेलन का आयोजन विश्व भर में वेदों के ब्रह्मवाक्य अहं ब्रह्मास्मि का उद्घोष करने वाली सनातनी महिला, संस्कृत की सनातनी संरक्षिका संस्कृतरत्न, संस्कृतभूषण, संस्कृत भारती कामिनी दुबे के द्वारा किया जा रहा है ।
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सम्प्रति नवरात्र उत्सव में व्रत -उपवास,पूजन-अर्चन में व्यस्त आदरणीया सनातनी शक्तिस्वरूपा संस्कृत भूषण कामिनी दुबे ने कहा कि 9,10 11 नवम्बर को दिल्ली में आयोजित त्रिदिवसीय विश्व संस्कृत महासम्मेलन पूरे विश्व को भारत की धर्म, अध्यात्म एवं आत्मा की भाषा संस्कृत एवं संस्कृत की महत्ता से परिचित कराएगा!
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महर्षि आज़ाद के संस्कृत अभियान के साथी, कार्यक्रम संचालक, संस्कृत विशारद एवं जे एन यू छात्र डॉ योगेन्द्र भारद्वाज ने कहा कि महर्षि आज़ाद का संस्कृत के प्रति योगदान अकल्पनीय है। विश्व संस्कृत महासम्मेलन से वह संस्कृत भाषा को विश्व के सम्मुख उपस्थापित करने जा रहे हैं।
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महर्षि आज़ाद की प्रवक्ता प्रीती श्रीवास्तव ने कहा कि महर्षि आज़ाद की यह सांस्कृतिक यात्रा राष्ट्र को समर्पित है। महर्षि आज़ाद की यह संस्कृत के प्रचार प्रसार की यात्रा सनातन भारत को समर्पित है। इस यात्रा का परिणाम है कि आज देवभाषा संस्कृत ने भारतवर्ष के घर घर में दस्तक दी है। मुझे बहुत गर्व है कि इस यात्रा में शामिल होकर संस्कृत की सेवा करने का मुझे अवसर मिला।
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इस कार्यक्रम की संपर्क प्रमुख देवना चौरसिया ने कहा कि विश्व संस्कृत महासम्मेलन का आयोजन एक ऐतिहासिक घटना है। इस अंतरराष्ट्रीय विश्व संस्कृत महासम्मेलन महोत्सव में दुनिया भर के कई संस्कृत के विशारद और विद्वान शामिल होंगे।